वक़्त के पर बांधे रहते हैं
जल के और निखर जाते हैं
जीने वाले भी हद करते हैं.

सफ़र दूर है तो क्या हुआ
अभी तो शुरू किया है सफ़र, बहुत दूर तक जाना बाकी है
मुश्किलें लाख सही पैरों में जान अभी बाकी है.
गम न कर ऐ दी-ऐ-नादान. सफ़र कैसा भी हो ज़िंदगी तो चलती रहती है
आशा और निराशा दो पहलू
ये जिंदगी तो एक अमानत है
साँसें सिर्फ मेरी होतीं तो गम ना था.
ये जिंदगी तो अमानत है उस रव की,
क्या हक है मुझे इसे नाउम्मीदी से जीने का.
किताबों में “Hopes and Despair” के बारे में बहुत अच्छी poems और stories पढ़ी होंगी. शायद बचपन में ही किताबों में ये बातें इसलिए पढ़ा दी जाती हैं कि हम बड़े होकर निराशा और नाउमीदी के शिकार ना हों.
Hopes and despair are the two aspects of life like other thing.
नमन को उसका एक मित्र दो महीने बाद मिला. मगर जो मनोभाव उसके आज थे वो दो महीनों पहले के मनोभावों से बिलकुल जुदा थे. दो महीने पहले वह अपनी जीत के प्रति आशान्वित था और आज उसकी परिस्थितियां बिलकुल बदल चुकीं थीं. स्वाभाविक बात थी कि आज वह निराश था क्योंकि उसके जीतने के chances आज हार में बदल गए थे.
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नमन ने उसे यही सलाह दी कि उसे निराश और कुंठित नहीं होना चाहिए. Life में कोई एक नाउम्मीदी या हार हमें सिर्फ उस चीज में असफल कर सकती है, हम सारी जिंदगी में असफल नहीं हुए. आशा और निराशा, हार और जीत तो जिंदगी के दो पहलू हैं. अगर आप में वाकई सच्ची लगन और उत्साह है तो आप आज नहीं तो कल इससे भी अच्छी परीक्षाओं में पास हो सकते हैं. खुद को कुंठित करना खुद के साथ बहुत बड़ा अन्याय है.

जिन्दगी के बारे में किसी शायर ने क्या खूब कहा है:
जिंदगी में कुछ न मिला तो क्या गम है
जो मिला वो क्या कम है
ये जिन्दगी तेरा शुक्रिया तूने कुछ तो दिया हमें.
तिनका तिनका सुख
तिनका तिनका भी सुख बटोर लेते हैं कुछ लोग.
तन्हा थी जिन्दगी लम्हों की भीड़ में
सोचा था कुछ भी नहीं इस तकदीर में
आप जब मिले तो लगा
कुछ ख़ास है मेरी किस्मत की लकीर में
ऐसा सबके साथ होता है. हमारी जिंदगी की विपरीत परिस्थितियां हमें निराश कर देतीं हैं. कभी-कभी ये हमें गहरे में तोड़ भी देतीं हैं, लेकिन जीवन का क्या जीवन तो जीना ही है.
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कुछ teacher और parents अपने बच्चों को जिंदगी के ये सबक भी सिखाते हैं ताकि उनके बच्चे बड़े होकर जिंदगी के ये झंझावातों से परेशान न हों. कुछ शिक्षा ऐसी भी दी जाती है कि बच्चे आशा और निराशा दोनों के प्रति समान नजरिया रखें. और ऐसे भी कई व्यक्ति होते हैं जो इन चीजों से परेशान नहीं होते.
ज़िंदगी तो चलती रहती है गम कैसा
जिंदगी को कुछ लोग कितनी जिंदादिली से जीते हैं इसे शायरी में कुछ इस तरह भी सुना जाता है:
गम नहीं कि गम कम मिले,
जितने मिले गम कम मिले
एक बात पूछता हूँ मैं
तुझसे ऐ खुदा
दिल दुखाने के लिए तुझे क्या हम ही मिले?
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जिंदगी तो सुख और दुःख, दिन और रात, ख़ुशी और गम, आशा और निराशा सभी का एक मिला जुला गुलदस्ता है. एक ही गुलदस्ते के तरह तरह के फूल हैं. नाउम्मीदियों से डर कैसा? निराशाओं से घबराना कैसा? खुशियों में इतराना कैसा?
कितने शायर कह गए; जिंदगी कभी ख़ुशी कभी गम है. कितनी जिंदादिल होती हैं किसी किसी की फितरतें जो ऊपर वाले से शिकायत नहीं करते और हर एक लम्हे को एन्जॉय करते हैं. सच है हाल कैसे भी हों ज़िंदगी तो चलती रहती है.
हर हाल में मुस्कुराने की,
हम ने जब से मुस्कुराना सीखा
अब भूल ही गए कि
मायूसियाँ क्या होतीं हैं.
जिंदगी रुकती नहीं ज़िंदगी तो चलती रहती है
तपती गर्मी के बाद मौसम का बदलना और बारिश की बूंदें कितना सुखद एहसास देती हैं. इसी तरह वक्त कैसा भी हो जिंदगी रुकती नहीं है वह तो चलती ही रहती है.
मंजिलें दूर हों तब भी हौंसलों को थामे रखना पड़ता है
हालात कैसे भी हों राही को मुस्कुराना पड़ता है.