सफलताएँ, असफलताएं,हार-जीत और जीवन में परिवर्तन
जीवन सदैव परिवर्तन शील है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु परिवर्तनशील है। समय का पहिया कभी रुकता नहीं है बल्कि वह अनवरत गतिशील है। जो इन्सान इन परिवर्तनों की सच्चाई को समझ कर इन के अनुरूप अपने आप को ढाल लेता है, वह जीवन में सफल रहता है और बाकि के लोग सिर्फ समय का दुखड़ा रोते नज़र आते हैं कि क्या करें हमारा तो समय ही ख़राब चल रहा है। छोटी छोटी असफलताओं से निराश होने की हम आदत बना लेते हैं और यह भूल जाते है कि Small Goals Lead Greater Achievements.
बदलाहट एक सामान्य प्रक्रिया है. हम जीवन में कई बार सिर्फ इसलिए दुःख पाते हैं क्योंकि हम बदलाहट या परिवर्तनों को स्वीकार नहीं कर पाते. उदाहरण के लिए हमारे किसी मित्र या निकट सम्बंधी का हमारे प्रति व्यवहार अचानक बदल जाये तो हम बहुत दुखी हो हो जाते हैं ; क्योंकि हम यह अपेक्षा करने के अभ्यस्त हो जाते हैं कि यह व्यक्ति कभी बदल नहीं सकता।
हमारी इच्छाएँ एवम अपेक्षाएँ सदैव एक सी नहीं रहती, बल्कि समय के साथ उनका स्वरुप भी बदलता रहता है। सफलताएँ हमें और अधिक सफलतायें पाने के लिए लालायित करती हैं और असफलताएं हमें हमारा पुनर्मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करती हैं। कई बार जब हमें अपनी इच्छा के अनुरूप प्रतिफल नहीं मिलता तब हम हताश, एवम निराश हो जाते हैं। जबकि ऐसे समय में हमें स्वयं का मूल्यांकन करके देखना चाहिए कि हम अपने आप में तथा परिस्थितियों में क्या और कैसे परिवर्तन कर सकते हैं।
जीवन में सफलता, असफलता, लाभ-हानि स्वाभाविक हैं। परन्तु यदि हम इन्हें स्वाभाविक रूप से लें तो हम हमेशा खुश रहेंगे वर्ना हमारी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा तो इन्ही के बारे में सोचने में ही निकल जाता है।
जीवन में कई बार बहुत कुछ ऐसा घटता है, जहाँ हम चाहते हुए भी कुछ कर पाने में असमर्थ होते हैं; ऐसे हालात में संघर्ष करने एवम घुटने के बजाए उन घटनाओं को एक अनुभव या परीक्षा के रूप में देखना भी हमें बहुत कुछ सिखा जाता है।
जीवन के प्रति सकारात्मक एवम आशावादी दृष्टिकोण हमें असफलताओं एवं निराशाओं से जूझने में हमारी बहुत मदद करता है। जरुरत है परिवर्तनों को समझने की एवं उनके अनुरूप स्वयं को ढालने की।
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1 टिप्पणियाँ
Safaltayen hame khushiyan deti hain, avm aur aage badhne ki prerna deti hain to asafaltayen bhi hame bahut kuchh sikha jaati hain
Safaltayen aur asafaltayen ek bahadur insaan ko bahut jyada prabhavit nahin karti hain, kyunki dono hi hamare liye kuchh na kuchh sikhane ke liye aati hain. Jeevan dono ka mila jula swarup hai. Jarurat hai to dono ko samajhne aur apni jindgi ko hamesha prassann rakhne ki. Sangharsho se insaan bahut kuchh seekhta hai. Vipreet parishthitiyon me hi apne-paraye aur achchhe-bure ki pahichan hoto hai. Agar insaan ko asafaltayen na mile to vah safaltayon ka swad kaise mehsus kar payega.
Ek bahut hi umda lekh likha hai. Hindi me achchhe blogs ki bahut jarurat hai. Atmviswas aur swadhyay par bhi kuchh hindi me lrkh post karen.
DHANYAWAD aur Happy "Hindi Blogging".