गणित विषय पर 1500 शब्दों में उपयोगी जानकारी

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गणित विषय पर उपयोगी जानकारी

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दैनिक जीवन में व्यावहांरिक गणित की जरुरत

रोजमर्रा की जिंदगी में संख्याओं, स्थानों की दूरी और मापन का ज्ञान गणित के द्वारा ही किया जाता है. अतः व्यवहारिक रूप से गणित विषय का ज्ञान सबके लिए आवश्यक है. इसके बिना मनुष्य सभ्य जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता. गणित शिक्षण का सभी के लिए व्यापक महत्व है. गणित छात्रों में आत्मनिर्भरता, दृढ़ता और आत्मविश्वास उत्पन्न करता है. गणित के नियम और सूझबूझ जिंदगी भर काम आने वाली चीजें हैं.

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आप अपने मोबाइल फोन पर यह प्रशिक्षण ले सकते हैं।

गणित क्या है गणित की परिभाषा

यह सामान्य रूप से गणनाओं का विज्ञानं है. गणित शब्द का शाब्दिक अर्थ है वह शास्त्र जिसमें गणनाओं की प्रधानता हो. ऑक्सफ़ोर्ड के अनुसार- गणित मापन, मात्र और परिमाण का विज्ञानं है. वहीँ गैलिलियो ने कहा था- “गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने सम्पूर्ण जगत या ब्रह्माण्ड को लिख दिया है.”

बिन गणित सब सून

व्यवहारिक गणित के विषय में समझने से पहले आइये जानते हैं गणित क्या है? कहते हैं गणित विज्ञानं की जननी है. सच बात तो यह है कि गणित के बिना कई विषय अधूरे हैं. आप शायद सबसे पहले भौतिकी (Physics ) के बारे में सोचेंगे कि भौतिकी गणित के बिना अधूरी है. लेकिन जरा सोचिये रसायन शास्त्र ( Chemistry ) की गणनाएं क्या गणित के बिना संभव हैं? क्या अर्थशास्त्र गणित के बिना चल सकता है? क्या इतिहास का अध्ययन गणित के बगैर संभव है? गणित के बिना तो ये सभी विषय लंगड़े और अपाहिज हैं. गणित विषय की व्यापक उपयोगिता इसे सभी विषयों में एक विशिष्ट स्थान दिलाती है.

गणित विषय पर डेढ़ हजार शब्दों में लेख

शिक्षकों के लिए एक बहु-उपयोगी प्रशिक्षण

Applied Math Training. CMRise Diksha app पर घर सीखने का संसाधन अंतर्गत गणित विषय पर भी प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है. यहाँ डिजिटल एप्प दीक्षा एप द्वारा शिक्षकों को व्यवहारिक गणित की सूझबूझ और उसके कक्षाओं में अनुप्रयोग कैसे करें विषय पर प्रशिक्षित किया जाएगा. ज्ञातव्य है की दीक्षा एप पर घर सीखने का संसाधन श्रंखला अंतर्गत इससे पहले दो और प्रशिक्षण दिए जा चुके है- घर सीखने का संसाधन Course -1 हम और हमारा समाज तथा Course-2 ज्ञान का खज़ाना. इन के बारे में शाला दर्पण पर पहले की पोस्ट्स में बताया गया है.

Applied math in pre primary school

Pre-Primary school में बच्चा सीखने के प्रारंभिक स्तर पर रहता है. Nursery, आंगनवाडी, lower kindergarten और upper kindergarten में बच्चा अपनी सीखने की सत्र की एक औपचारिक शुरुआत करता है. औपचारिक शुरुआत से तात्पर्य है बच्चा संस्थागत स्तर पर लिखना पढना सीखता है. वैसे बच्चा आंगनवाडी या स्कूल के अतिरिक्त घर पर भी math सीखता है. Mathematics का शुरूआती और व्यवहारिक ज्ञान और उसका अनुप्रयोग वह घर से ही सीखने लगता है. मैथ के लिए प्री प्राइमरी स्कूलों द्वारा नवाचारों की हमेशा ही जरुरत रहती है.

व्यवहारिक गणित के चलते फिरले टी एल एम

बच्चे स्कूल जाने से पूर्व ही अपने परिवार और पर्यावरण से व्यवहारिक गणित की समझ बनाने के कई अवसर प्राप्त करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में उन्हें जो भी देखने सुनने को मिलता है वो उन्हें math के प्रति jigyasa और समझ बनाने में मदद करता है. शिक्षा की भाषा में कह सकते हैं कि उनके पास सीखने के लिए अनेक चलते फिरते टी एल एम होते हैं. शाला में भी कई आकर्षक teaching-learning material उन्हें रोचक तरीके से अवधारणाएं विकसित करने और सीखने में सहायता करते हैं.

दैनिक जीवन में बच्चों से गणितीय संवाद

बेटा आपके कितने ears हैं? आप की कितनी Eyes हैं. हैंड्स कितने होते हैं. One mouth होता है इत्यादि वाक्य घर पर अक्सर दोहराए जाते हैं. बच्चा खेल-खेल में ख़ुशी-ख़ुशी ये सब सीखता है. थोड़े और बड़े होने पर kids counting करना खुद सीखने लगते हैं. जैसे ये 5 कुर्सियां हैं. मेरे हाथ में कुल दस उँगलियाँ हैं आदि.

एप्लाइड math इन प्राइमरी स्कूल

प्राइमरी स्कूल में कक्षा एक का बालक अपने सीखे गए ज्ञान को स्कूल टीचर के साथ दोहराने का काम करता है. एक से दस तक गिनती और एक से सौ तक की गिनती उसे आने लगती हैं लेकिन अब उसके पास पहले से अधिक दवाब रहता है. उस से अपेक्षा गिनती सही से बोलने और शुद्ध लिखने की अपेक्षा की जाती है. गणित का व्यवहारिक ज्ञान उसके प्रयोग में आने लगता है.

एप्लाइड मैथ in मिडिल स्कूल

मिडिल स्कूल का विद्यार्थी प्राइमरी स्कूल की अपेक्षा अब एक बड़े स्तर की कक्षा में पहुँचता है. Class 6 का student यहाँ गणित के नए स्वरुप से परिचित होता है. उसके लिए गणित की किताब पहले से अधिक बड़ी हो जाती है. यहाँ पर भी उसके द्वारा सीखे गए प्रारंभिक ज्ञान की असली परीक्षा होती है. गिनती-दूनिया ( पहाड़ा), जोड़, घटाना और गुणा-भाग का अनुप्रयोग अब उसे विभिन्न संक्रियाओं को करने में होता है. अगर उसे ये बुनियादी चीजें नहीं आतीं तो उसे आगे की math भी समझ में नहीं आती.

बुनियादी गणितीय कौशल की समझ

जब कोई छात्र-छात्रा इस तरह की कठिनाई का सामना करे तो उसे फिर से इन बुनियादी गणितीय कौशलों में पारंगत करना चाहिए. बुनियादी गणित से अर्थ यहाँ अंकों और संख्याओं की समझ, गिनती करना, पहाड़ा, जोड़ और घटाना तथा गुणा-भाग आदि हैं. देखने में आता है कई बच्चे मिडिल स्कूल में पहुँचने के बाद भी बेसिक गणित में पीछे रह जाते हैं.

मिडिल स्कूल में गणित में आने वाली समस्याएं

छात्र-छात्राओं का गणितविषय में बेसिक नॉलेज कमजोर होना कोई नई और अप्रत्याशित बात नहीं है. न सिर्फ सरकारी बल्कि प्राइवेट स्कूल दोनों जगह कई बार शिक्षकों के सामने इस तरह की समस्याएं आती हैं. कुछ शिक्षक ऐसी परिस्थिति में हताश होने लगते हैं. कई बच्चों के लिए मैथ का पीरियड बोरिंग लगने लगता है.

कक्षा में सुनाई देने वाले कुछ वाक्य

शिक्षकों की निराशा कुछ इस तरह के वाक्यों में प्रकट होती है-

अरे इसे तो कुछ भी नहीं आता.

मैं तो सिखाते-सिखाते परेशान हो गया.

अब ये नहीं सीख सकते.

इन बच्चों में तो दिमाग ही नहीं है, इन्हें कैसे सिखाएं.

उपरोक्त तरह के वाक्य कितने सही या गलत हैं ये एक अलग विषय है. परन्तु यहाँ विचारणीय प्रश्न दिमाग में उठते हैं. वास्तव में सीखने की prakriya प्रत्येक छात्र के लिए हमेशा एक सी नहीं होती. हर छात्र मनोवैज्ञानिक रूप से अलग व्यक्तित्व का होता है. ऐसी स्थिति में उन्हें सिखाने के तौर-तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं. धैर्य और positive thinking के साथ इस समस्यायों का सामना करना पड़ता है.

कक्षा में आने वाली समस्याएं और समाधान

अलग अलग तरह की समस्याओं और उनके समाधान में पर्याप्त सफलता नहीं मिलने से teachers का हताश होना स्वाभाविक है. मगर सूझबूझ से गणित सीखने की योजना बना कर इन समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. वास्तव में गणित विषय सूझबूझ का विषय है.

गणित में कमजोर विद्यार्थियों के लिए सुधारात्मक उपाय

प्राथमिक और माध्यमिक शाला में पढने वाले बच्चों के लिए अलग रणनीति पर काम करना पड़ता है जो हाईस्कूल से भिन्न हो सकती हैं. गणित विषय में कमजोर विद्याथियों के लिए सुधारात्मक उपाय करने से पहले कमजोर बच्चे और उनके कमजोर बिन्दुओं को चिन्हित करना आवश्यक है. इसके लिए मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के बेसलाइन और एंडलाइन टेस्ट कार्यक्रम को बहुत ही अच्छा उदाहरण दिया जा सकता है.

मैथ का बेसलाइन टेस्ट

बेसलाइन कार्यक्रम में पहले बच्चों का बेसलाइन टेस्ट लिया जाता है जो सीधे तौर पर बच्चे के बेसिक नॉलेज से संबंधित होता है. यहाँ बच्चे की गणित और हिंदी में बुनियादी दक्षताएं परखी जाती हैं. हिंदी और मैथ का दक्षता टेस्ट प्रथक प्रथक होता है. Baseline test लेने के बाद इसका डाटा विभिन्न formats में सुरक्षित रखा जाता और इसके आधार पर बच्चों की शैक्षिक ज्ञान का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है. यहीं से बच्चों के व्यक्तिगत और कक्षा स्तर पर कमजोर बिन्दुओं को चिन्हांकित किया जाता है.

मैथ में दक्षता वार बच्चों के समूह निर्माण की प्रक्रिया

बेस लाइन में चिन्हांकन करने के बाद सुधारात्मक उपाय करना सरल और आसान हो जाता है. शिक्षकों को पता होता है कि कोई बच्चा किस क्षेत्र में कमजोर है और उसे वहां सुधार की आवश्यकता है. मैथ के लिए अंकों और संख्याओं की पहचान करना, जोड़ घटाना, गुना और भाग आदि व्यवहारिक बिन्दुओं के आधार पर बच्चों को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है. अंकुर, तरुण और उमंग समूहों में वर्गीकरण दक्षता वार बच्चों की पहचान करने में शिक्षाओं की सहायता करता है.

गणित में उपचारात्मक शिक्षण

विभिन्न बिन्दुओं में कमजोर बच्चों के लिए सुधारात्मक शिक्षण की अपेक्षा की जाती है. देखा जाए तो बेसलाइन टेस्ट शिक्षकों के लिए सुधारात्मक उपाय करने की प्रक्रिया और रणनीति बनाने में बहुत अधिक मदद करता है. ऐसे बच्चे जो एक ही तरह की गणितीय दक्षताओं में कमजोर हैं उनके लिए एक समूह बना कर अलग से कक्षाएं ली जा सकती हैं. हर शाला में ऐसे विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल क्लासेज लगाने की अनुशंसा की जाती है. उपचारात्मक शिक्षण उपरांत बच्चे कक्षा की मुख्य धारा में शामिल हो पायेंगे.

गणित से सम्बंधित कुछ तथ्य

“भास्कराचार्य (भास्कर द्वितीय) की अंकगणित पुस्तक का नाम “लीलावती” (1150 ई.) है.

आर्कमिडीज को गणित का पिता कहा जाता है.

ज्यामिती का जनक युक्लिड को कहते हैं.

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