नवीन एक प्राइवेट विद्यालय में शिक्षक था. नवीन शुरू से ही शांत प्रकृति का इंसान था. एक दिन कक्षा में पढ़ते हुए किसी बच्चे पर उसे गुस्सा आ गया और उसने उस बच्चे को डांट दिया. बच्चे को अपना अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी कापी फाड़ दी और नवीन के सवालों का जवाब नहीं दिया. नवीन ने इसके लिए न तो उस बच्चे को कोई सजा दी और न ही इसकी शिकायत शाला प्रबंधन और न ही उस बच्चे के अभिभावकों से की.
इस घटना से नवीन के दिल को बहुत ठेस पहुंची और उस बच्चे के प्रति उसका व्यवहार बदल गया. उसने फिर कभी उस बच्चे को कुछ नहीं कहा. नवीन का मन उस बच्चे के द्वारा किये अप्रत्याशित व्यवहार और अपने अपमान के भाव को भुला नहीं पाया. हालाँकि उसके शैक्षणिक व्यवहार का इस पर कोई असर नहीं हुआ, मगर मन की उलझन उसे उस बच्चे के प्रति व्यवहार को सहज नहीं होने दे रही थी. वह हमेशा उस व्यवहार को याद करता रहता और अन्दर ही अन्दर पीड़ित होता रहता.
नवीन के मन के ये हालात हालाँकि और किसी की समझ में नहीं आ रहे थे लेकिन इससे सबसे ज्यादा खुद नवीन और वो बच्चा बहुत अधिक पीड़ित था.
इस घटना से नवीन के दिल को बहुत ठेस पहुंची और उस बच्चे के प्रति उसका व्यवहार बदल गया. उसने फिर कभी उस बच्चे को कुछ नहीं कहा. नवीन का मन उस बच्चे के द्वारा किये अप्रत्याशित व्यवहार और अपने अपमान के भाव को भुला नहीं पाया. हालाँकि उसके शैक्षणिक व्यवहार का इस पर कोई असर नहीं हुआ, मगर मन की उलझन उसे उस बच्चे के प्रति व्यवहार को सहज नहीं होने दे रही थी. वह हमेशा उस व्यवहार को याद करता रहता और अन्दर ही अन्दर पीड़ित होता रहता.
नवीन के मन के ये हालात हालाँकि और किसी की समझ में नहीं आ रहे थे लेकिन इससे सबसे ज्यादा खुद नवीन और वो बच्चा बहुत अधिक पीड़ित था.
खुद उस बच्चे ने नवीन से पूछा "सर, आप सब को उनकी गलतियों के लिए डांटते हैं लेकिन मुझे क्यों नहीं डांटते?"
मुझ से क्या गलती हो गई है, आप मेरे प्रति ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं?
दरअसल नवीन उस बच्चे को दिल से माफ़ नहीं कर पा रहा था. एक अध्यापक के नाते वो अपना अध्यापन का फ़र्ज़ तो निभा रहा था लेकिन अन्दर ही अन्दर अपने प्रति उस बच्चे के व्यवहार की खटास उसे सहज नहीं होने दे रही थी और वह इस तरह का व्यवहार कर रहा था. नवीन के साथ-साथ वो बच्चा भी अंदर ही अंदर दुखी हो रहा था.
नवीन का मन उस अपमान को नहीं भुला पाया था. उस बच्चे के व्यवहार से नवीन को दुःख पंहुचा था! ऐसा होते-होते कई दिन बीत गए.
कुछ दिनों बाद नवीन का शहर के एक ध्यान शिविर में जाना हुआ, नवीन उस शिविर में गया जहाँ ध्यान से पहले आत्म शुद्धि के लिए एक सेशन चल रहा था जहाँ अनुदेशक सब लोगों से अपने आप से दूसरों को माफ़ करने के लिए कह रहा था.
मुझ से क्या गलती हो गई है, आप मेरे प्रति ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं?
दरअसल नवीन उस बच्चे को दिल से माफ़ नहीं कर पा रहा था. एक अध्यापक के नाते वो अपना अध्यापन का फ़र्ज़ तो निभा रहा था लेकिन अन्दर ही अन्दर अपने प्रति उस बच्चे के व्यवहार की खटास उसे सहज नहीं होने दे रही थी और वह इस तरह का व्यवहार कर रहा था. नवीन के साथ-साथ वो बच्चा भी अंदर ही अंदर दुखी हो रहा था.
नवीन का मन उस अपमान को नहीं भुला पाया था. उस बच्चे के व्यवहार से नवीन को दुःख पंहुचा था! ऐसा होते-होते कई दिन बीत गए.
कुछ दिनों बाद नवीन का शहर के एक ध्यान शिविर में जाना हुआ, नवीन उस शिविर में गया जहाँ ध्यान से पहले आत्म शुद्धि के लिए एक सेशन चल रहा था जहाँ अनुदेशक सब लोगों से अपने आप से दूसरों को माफ़ करने के लिए कह रहा था.
"जिसने तुम्हारा दिल दुखाया उसे माफ़ कर दो."
"'उसकी गलतियों की सजा भगवान खुद देगा, तुम उसे माफ़ न करके अपने आप को पीड़ा दे रहे हो."
'माफ़ कर दो और अपने मन का बोझ हल्का कर दो.'
'किसी के गलत व्यवहार को अपने मन में मत रखो; उसे भुला दो और उस इंसान को सच्चे दिल से माफ़ कर दो.'
"माफ़ कर देना सजा देने से बड़ी बात है. सजा से जहाँ रिश्तों में खटास आती है, वहीँ माफ़ी से रिश्तों में मिठास आती है."
नवीन पर भी उस सेशन का असर पड़ा. नवीन पिछले कई दिनों से उस बच्चे को माफ़ नहीं कर पा रहा था. इस ध्यान सत्र के दौरान नवीन ने भी उस बच्चे को माफ़ कर दिया.
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अद्भुत! अब नवीन का मन हल्का हो गया था. और अब वह अपने आपको काफी शांत और प्रसन्नचित्त महसूस कर रहा था! सिर्फ माफ़ कर देने भर से वह जीत गया था. अब उसे अपने बड़प्पन और बड़े होने का महत्व पता चला.
आज नवीन को अहसास हुआ कि माफ़ कर देना जीवन की सबसे बड़ी जीत है. नवीन को महसूस हुआ कि माफ़ कर देने से हम छोटे नहीं होते बल्कि खुद की नज़रों में भी बहुत बड़े हो जाते हैं. किसी के प्रति नफ़रत या गुस्सा मन में रखकर हम खुद दुखी होते हैं इसके बजाए माफ़ी देने से हमें बहुत सुकून और शांति मिलती है. क्षमा वीरस्य भूषणं. माफ़ करना कायरता की नहीं बल्कि बहादुरी की निशानी है, आज ये बात नवीन की समझ में आ गई थी.
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7 टिप्पणियाँ
शुक्रिया.