पल तो बीत रहा है
पल-पल बीत रहा है फिर भी
वक़्त के पर बांधे रहते हैं
जल के और निखर जाते हैं
जीने वाले भी हद करते हैं
Hindi रेडियो धारावाहिक 'तिनका तिनका सुख' के title song की ये lines इंसानी जज्बे को कितनी गहराई से व्यक्त करती हैं. आशा और निराशा हम सब के जीवन के दो पहलू हैं. जब एक पहलू से वास्ता पड़ता है तो जिंदगी खिल उठती है वहीँ जब दूसरे पहलू से रूबरू हो जाते हैं तो जिंदगी मायूस हो जाती है. जब हमारे लिए सब कुछ हमारे favour में होता है तो हम आशान्वित रहते हैं और जब घटनाएँ हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं चलतीं तो हम निराश हो जाते हैं. गहरे अर्थों में सोचें तो कहीं न कहीं हमारे मनोभाव हमारे जीवन के अनुभवों और हमारे विश्वास को इंगित करते हैं.
उम्मीद जिंदगी को जीने का हौसला देती है और निराशा हताश कर देती है
बात जब आशाओं की हो तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन निराशा किस कदर हमको तोड़ देती है, कभी सोचा है आपने? निराशा जिंदगी का एक ऐसा जहर है जो हमको बहुत अधिक तोड़ देता है. निराशा हमारे सपने और हमारी सोचने समझने की शक्ति को क्षीण कर देती है. लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि हम को निराश होकर अपने मन को गिराने का और अपनी life को बर्बाद करने का हक है?
शायरी की कुछ लाइनें शायद इस बात को अच्छे से समझा सकतीं है.
जिंदगी गर सिर्फ मेरी होती तो गम ना था,
साँसें सिर्फ मेरी होतीं तो गम ना था.
ये जिंदगी तो अमानत है उस रव की,
क्या हक है मुझे इसे नाउम्मीदी से जीने का.
सच है निराशा और नाउम्मीदी इंसान के बहुत बड़े दुश्मन है. इनको अपने आप पर हावी नहीं होने देना चाहिए.
किताबों में "Hopes and Despair" के बारे में बहुत अच्छी poems और stories पढ़ी होंगी. शायद बचपन में ही किताबों में ये बातें इसलिए पढ़ा दी जाती हैं कि हम बड़े होकर निराशा और नाउमीदी के शिकार ना हों. जब दिल में उमंग और जोश रहेगा तो हर मंजिल सरल लगेगी. दिल की उमंग हमारी हिम्मत को बनाये रखती है.
Hopes and despair are the two aspects of life like other thing.
नमन को उसका एक मित्र दो महीने बाद मिला. मगर जो मनोभाव उसके आज थे वो दो महीनों पहले के मनोभावों से बिलकुल जुदा थे. दो महीने पहले वह अपनी जीत के प्रति आशान्वित था और आज उसकी परिस्थितियां बिलकुल बदल चुकीं थीं. स्वाभाविक बात थी कि आज वह निराश था क्योंकि उसके जीतने के chances आज हार में बदल गए थे.
नमन ने उसे यही सलाह दी कि उसे निराश और कुंठित नहीं होना चाहिए. Life में कोई एक नाउम्मीदी या हार हमें सिर्फ उस चीज में असफल कर सकती है, हम सारी जिंदगी में असफल नहीं हुए. आशा और निराशा, हार और जीत तो जिंदगी के दो पहलू हैं. अगर आप में वाकई सच्ची लगन और उत्साह है तो आप आज नहीं तो कल इससे भी अच्छी परीक्षाओं में पास हो सकते हैं. खुद को कुंठित करना खुद के साथ बहुत बड़ा अन्याय है.
जिन्दगी का शुक्रिया कुछ तो दिया हमें
जिन्दगी के बारे में किसी शायर ने क्या खूब कहा है:
जिंदगी में कुछ न मिला तो क्या गम है
जो मिला वो क्या कम है
ये जिन्दगी तेरा शुक्रिया तूने कुछ तो दिया हमें.
किसी ने याद रखा
ये भी तो सुकून मिला इस दिल को
हम तो इस दर पे आये थे
कुछ अरमानों की ख्वाहिश लेकर
तसल्ली के साथ वापिस जा रहे हैं कि
खुशियाँ न सही
कुछ तो दिया आपने...!
सोचा नहीं था फिर भी जिंदगी ऐसी चल रही है
तिनका तिनका भी सुख बटोर लेते हैं कुछ लोग.
तन्हा थी जिन्दगी लम्हों की भीड़ में
सोचा था कुछ भी नहीं इस तकदीर में.
आप जब मिले तो लगा
कुछ ख़ास है मेरी किस्मत की लकीर में.
ऐसा सबके साथ होता है. हमारी जिंदगी की विपरीत परिस्थितियां हमें निराश कर देतीं हैं. कभी-कभी ये हमें गहरे में तोड़ भी देतीं हैं, लेकिन जीवन का क्या जीवन तो जीना ही है.
कुछ teacher और parents अपने बच्चों को जिंदगी के ये सबक भी सिखाते हैं ताकि उनके बच्चे बड़े होकर जिंदगी के ये झंझावातों से परेशान न हों. कुछ शिक्षा ऐसी भी दी जाती है कि बच्चे आशा और निराशा दोनों के प्रति समान नजरिया रखें. और ऐसे भी कई व्यक्ति होते हैं जो इन चीजों से परेशान नहीं होते.
जिंदगी को कुछ लोग कितनी जिंदादिली से जीते हैं इसे शायरी में कुछ इस तरह भी सुना जाता है:
गम नहीं कि गम कम मिले,
जितने मिले गम कम मिले.
एक बात पूछता हूँ मैं
तुझसे ऐ खुदा
दिल दुखाने के लिए तुझे क्या हम ही मिले?
जिंदगी तो सुख और दुःख, दिन और रात, ख़ुशी और गम, आशा और निराशा सभी का एक मिला जुला गुलदस्ता है. एक ही गुलदस्ते के तरह तरह के फूल हैं. नाउम्मीदियों से डर कैसा? निराशाओं से घबराना कैसा? खुशियों में इतराना कैसा? कितने शायर कह गए; जिंदगी कभी ख़ुशी कभी गम है. कितनी जिंदादिल होती हैं किसी किसी की फितरतें जो ऊपर वाले से शिकायत नहीं करते और हर एक लम्हे को एन्जॉय करते हैं.
जितने मिले गम कम मिले.
एक बात पूछता हूँ मैं
तुझसे ऐ खुदा
दिल दुखाने के लिए तुझे क्या हम ही मिले?
जिंदगी तो सुख और दुःख, दिन और रात, ख़ुशी और गम, आशा और निराशा सभी का एक मिला जुला गुलदस्ता है. एक ही गुलदस्ते के तरह तरह के फूल हैं. नाउम्मीदियों से डर कैसा? निराशाओं से घबराना कैसा? खुशियों में इतराना कैसा? कितने शायर कह गए; जिंदगी कभी ख़ुशी कभी गम है. कितनी जिंदादिल होती हैं किसी किसी की फितरतें जो ऊपर वाले से शिकायत नहीं करते और हर एक लम्हे को एन्जॉय करते हैं.
अब मुस्कुराने की आदत पड़ गई है
- अब तो आदत सी पड़ गई है
- हर हाल में मुस्कुराने की,
- हम ने जब से मुस्कुराना सीखा
- अब भूल ही गए कि
- मायूसियाँ क्या होतीं हैं.
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