एक ये और एक वो (Hindi Story)


मयंक दिल्ली में एक कंपनी में जॉब करता था. मयंक जिस सेक्शन में काम करता था वहां का माहौल कुछ अलग तरह का था या यूँ कहें कि उस ऑफिस का काम और जिम्मेदारियाँ कुछ-कुछ एक पारिवारिक माहौल सी थीं यानि कि सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना से काम किया जाता था. उसी ऑफिस में रमेश नाम का एक नया लड़का भी काम किया करता था जबकि मयंक उससे चार साल सीनियर था. मयंक के मन में अक्सर रमेश के प्रति द्वेष या जलन की भावना रहती थी क्योंकि उसे हमेशा ये लगता था कि वो रमेश से ज्यादा काम करता है फिर भी उसका बॉस हमेशा रमेश की तारीफ करता है, उसे उसकी गलतियों पर डाँटता नहीं है. उसके बॉस रमेश को ज्यादा छूट देते हैं और उसे कुछ नहीं कहते. बस यही बातें मयंक के नाम में हमेशा चलती रहतीं और वह मन ही मन उससे कुढता रहता और उसे नीचा दिखाने के प्रयास में लगा रहता. जब भी कहीं रमेश से कोई गलती होती वह तुरंत ही बॉस से शिकायत करने पहुँच जाता ताकि रमेश को बॉस की खरी-खोटी सुनने को मिल जाएँ.

मयंक को हमेशा ऐसा लगता कि रमेश उससे उम्र और अनुभव में छोटा होने के कारण उस सम्मान और विश्वास का हकदार नहीं है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मयंक एक हीनभावना का शिकार था और उसे लगता था कि उसकी इज्जत-प्रतिष्ठा और अधिक होती अगर रमेश इस ऑफिस में नहीं होता.
ऐसा नहीं था कि मयंक के बॉस को ये सब पता नहीं था परन्तु वह सब कुछ जानते हुए भी इस सब को नजरंदाज कर दिया करता था क्योंकि उसे मयंक कि मनःस्थिति भी पता थी और रमेश का काम तथा व्यवहार भी.

मयंक के बॉस को दोनों की काबिलियत पता थी. एक तरफ मयंक एक सीनियर कर्मचारी था और दूसरी तरफ रमेश नया होने के साथ ही बेहद चतुर, कर्तव्यनिष्ठ तथा वफादार था. रमेश ऑफिस कि हर समस्या को गहराई से समझता और हमेशा सब के बीच सामंजस्य बनाने का काम किया करता था. देखा जाए तो कार्यनिष्ठा तथा जिम्मेदारियों के मामले में रमेश का पलड़ा मयंक से कई गुना भरी था. यही वजह थी कि वो मयंक की बातें सुनते और सहन करते हुए भी हमेशा रमेश का ख्याल रखते थे.

https://anilsahu.blogspot.in/2015/07/office-culture-motivational-story-in-hindi.htmlऑफिस संस्कृति को बताने वाली इस छोटी सी कहानी के पीछे अभिप्राय ये था कि कई व्यक्ति योग्य तथा अनुभवी होते हुए भी अपने कार्यक्षेत्र (ऑफिस या फिर कंपनी) में वो दर्जा या स्थान नहीं बना पाते जिसकी कि वो अपेक्षा रखते हैं. इसकी वजह कई हो सकतीं हैं. जरुरी नहीं कि ऐसे लोगों में योग्यता की कोई कमी हो. हो सकता है वो बहुत ही योग्य हों लेकिन किसी कि नजरों में एक अच्छा या महत्वपूर्ण स्थान बनाने के लिए किसी दूसरे में हमसे ज्यादा गुण हों. हो सकता है कि दूसरे इंसान में हमसे भी ज्यादा योग्यताएं हों.
 हो सकता है दूसरे लोगों के पास वो दुर्गुण न हों जो हममें हैं शायद इसीलिए उन्हें ज्यादा पसंद किया जाता है. हो सकता है दूसरे लोग किसी की परेशानियों या जरूरतों को हमसे ज्यादा समझते हों. हो सकता है दूसरे लोग अपने बॉस को अपना लक्ष्य प्राप्त करने में ज्यादा उपयोगी हों क्योंकि वो उस ऑफिस संस्कृति की ज्यादा समझ रखते हैं.

कहते हैं कि इंसान को अपने दुर्गुण आसानी से नहीं दिखाई देते जबकि वो दूसरों की बुराइयों को जल्दी पकड़ लेता है. इसीलिए खुद में सुधार करना बहुत मुश्किल होता है. दूसरे व्यक्ति के प्रति दुर्भावना रखने के बजाय अगर सद्भावना रखी जाए तो कैसा रहेगा.

मयंक और रमेश की इस छोटी सी कहानी में पाया कि रमेश मयंक से ज्यादा उपयोगी और जिम्मेदार था क्योंकि उसके बॉस तथा दूसरे सहयोगी हमेशा मयंक को हर समस्या के समाधान कर्ता के रूप में देखते थे. जबकि बॉस के मन में मयंक की छवि एक समस्यामूलक व्यक्ति की थी जो हमेशा शिकायत करना जानता था जबकि रमेश किसी भी दिए गए काम को पूरी जिम्मेदारी से पूरा करके दिखाता था.
एक अच्छा अधीनस्थ या फिर अच्छा कर्मचारी बनना भी एक हुनर होता है. अच्छे इंसान की हर कोई तारीफ़ करता है और फिर उनकी तुलना भी की जाती है कि एक ये हैं और एक वो.....

 या फिर लोग ये भी कहते हैं कि देखो एक ये कितना सही है और एक वो कैसा है...

READ THE BEST STORIES IN HINDI:

  1. दो दोस्तों की कहानी
  2. माँ की सीख
  3. सादगी ऐसी भी न हो
  4. अच्छे व्यक्तित्व का फायदा

निवेदन: Dear Readers, यदि ये Hindi Story आपको पसंद आई हो तो कृपया अपनी सोच और सुझाव कमेन्ट के द्वारा हम तक जरुर पहुंचायें. साथ ही इसे अपने दोस्तों और चाहने वालों के बीच जरुर शेयर करें. धन्यवाद.
अनिल साहू 
We welcome your suggestions on this site. Please feel free to share your opinions about this Hindi website.

एक टिप्पणी भेजें

8 टिप्पणियाँ

Madhulika Patel ने कहा…
कभी कभी इंसान दूसरों में इतनी गलतियाँ ढूंढ लेता है जिससे उसके अपने सारे अच्छे गुण मिट जाते हैं .. सुन्दर लेख
Madhulika Patel ने कहा…
आप बहुत अच्छा लिखते है |
Anil Sahu ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Anil Sahu ने कहा…
धन्यवाद सहित आभार आपका.
Anil Sahu ने कहा…
स्वागत है आपका.
Aapki Safalta ने कहा…
बहुत अच्छी कहानी ! कहानी का अर्थ बहुत अच्छी तरह समझाया गया है। एक अच्छा लेखन।
From-
aapkisafalta
Anil Sahu ने कहा…
Thanks all of you for your nice comments.