परीलोक की कथाएं- परियों की कहानियां

परीलोक की कथाएं- परियों की कहानियां


आज परीलोक में काफी हलचल थी। सबके चहरे पर सिकन साफ़ देखी जा रही थी और इसीलिए रानी परी ने एक मीटिंग बुलाई थी। सभी लोग तय समय पर मीटिंग में पहुँच गए।

Fairy Tales Stories in Hindi. परियों की कहानियां. इस पोस्ट में बच्चों के लिए मजेदार परी कथाएं दी जा रही हैं. कृप्या पूरी पोस्ट को आखिर तक पढ़िए.

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वहाँ पर रानी परी ने कहा, " चुड़ैल लोक की चुड़ैल हमारी पुण्य मणि को हमसे लेना चाहती है और वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार है। अगर यह मणि उसके हाथ लाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा। हमारी शक्तियां क्षीण होने लगेंगी और अंत में हम शक्ति विहीन हो जाएंगी। "

चुड़ैल और परी की कहानी


" फिर तो हमें उस चुड़ैल को रोकना होगा " लालपरी ने कहा। सभी से इससे सहमति जताई। इसके बाद मणि की सुरक्षा और भी बढ़ा दी गयी और इसके साथ ही पुरे परीलोक की सुरक्षा बढ़ा दी गयी और गुप्तचरों को सावधान रहने को कहा गया और इसकी जिममेदारी जलपरी को दी गयी।

परीलोक में संकट


कुछ दिन बीते। अचानक से एक रात पुरे परीलोक में खतरे का अलार्म बज गया। चुड़ैल ने अपने सैनिकों के साथ परीलोक को घेर लिया। इसकी सूचना मिलते ही रानी परी भी लालपरी, जलपरी, गुलाबीपरी तथा अन्य परियों के साथ आ पहुंची।

तभी चुड़ैल के सैनिकों ने पारी लोक पर आक्रमण कर दिया और अग्निवर्षा करने लगे। लेकिन जलपरी ने उनकी अग्निवर्षा को पलभर में ही नष्ट कर दिया।

काली परी की कहानी

उसके बाद चुड़ैल के सैनिक पत्थर बरसाने लगते है जिसे हवापरी दूर उड़ा देती है। अपने हथियारों को नष्ट होता देखकर चुड़ैल अपने सैनिकों को हमला करने का आदेश देती है और जवाब में परीलोक के सैनिक भी हमला करते हैं। बहुत भीषण युद्ध होता है और चुड़ैल हारने लगती है। खुद को हारता हुआ देखकर वह अपनी माया का प्रयोग शुरू करती है। वह कभी गायब हो जाती तो कभी कई रूपों में आती तो ककभी परछाई बनकर आक्रमण करती।

मजेदार परीकथाएं हिंदी में

कुछ दिन बीते। अचानक से एक रात पुरे परीलोक में खतरे का अलार्म बज गया। चुड़ैल ने अपने सैनिकों के साथ परीलोक को घेर लिया। इसकी सूचना मिलते ही रानी परी भी लालपरी, जलपरी, गुलाबीपरी तथा अन्य परियों के साथ आ पहुंची।
उसके छद्म युद्ध से परिसेना परेशान होने लगी। तब रानीपारी ने मायावीपरी का आह्वान किया। मायावीपरी ने आते ही अपनी माया से चुड़ैल के सारे मायावी शक्तियों को नष्ट कर दिया और अपनी एक तेज किरण से उसका वध कर दिया। इस तरह से परियों ने पुण्य मणि की रक्षा की।

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नन्ही परी की रोचक कहानी


२- एक नन्हीं सी परी थी. उसकी इच्छा थी कि वह पृथ्वी की सैर करे और वहाँ बच्चों के साथ खेले. उसने अपने मन की बात अपनी परी माँ को बतलायी. माँ ने उसे स्वीकृति देते हुए कहा कि वह धरती पर जाने के पूर्व अपने साथ बच्चों के लिए खिलौने लेते जाए.

अपनी मां के कहे अनुसार उसने ढेरों सारे खिलौने अपनी झोली में भरे और नन्हें-नन्हें परों को फ़रफ़राते हुए धरती की ओर उड़ चली. इस समय बागीचे में गोलू-भोलू-चिंटू,नीना,मीना,बिट्टू, सीनू,तन्नू,पूर्वी आदि अपने अन्य दोस्तों के साथ लुका-छिपी का खेल खेल रहे थे.

नन्हीं परी दूर से इस अद्भुत खेल को देख रही थी. उसने मन ही मन तय कर लिया कि वह भी इस खेल को खेलेगी. गोलू इस समय आँख पर पट्टी बांधे, अपने साथी को ढूंढने में हाथ-पैर मार रहा था ,जो किसी वृक्षादि के पीछे छिपे हुए थे.

नन्ही परी, ठीक उसके सामने जा खडी हुई. गोलू थॊडा आगे बढा ही था कि उसने नन्हीं परी को अपनी पकड में लेते हुए चिल्लाया- “मैंने पकड लिया, मैंने पकड लिया” कहते हुए अपने आंखों पर बंधी पट्टी को हटा दिया.

बच्चों के लिए मजेदार परियों की कहानी


उसे यह देखकर आश्चर्य हो रहा था कि गोलू-भॊलू आदि न होकर, परों वाली एक लड़की उसके सामने खडी मुस्कुरा रही है. उसने उस लड़की से परिचय प्राप्त करना चाहा.

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नन्हीं परी ने अपना परिचय देते हुए बतलाया कि वह आसमान में रहती है और तुम लोगों से दोस्ती करने और खेलने के लिए ही धरती पर आयी है तथा अपने साथ उपहार भी लेती आयी है.

गोलू और नन्हीं परी की कहानी


गोलू ने हामी भरते हुए कहा-“” हां..हां ... तुम्हें हम अपना दोस्त बनाएंगे. उसने आवाज देकर सब मित्रों को इकठ्ठा किया और नन्हीं परी से परिचिय करवाया. अपने बीच एक नया दोस्त पाकर सभी बच्चे बेहद खुश हुए.

सभी बच्चे झूम-झूमकर हाथ में हाथ डाले गाना गाने लगे। देखो-देखो परी आयी.ढेर सारे तोहफ़े लेकर आयी ...गुड्डॆ-गुडियों से भरी रेलगाडी लेकर आयी...देखो परी आयी, परी आयी.”

नन्हीं परी ने सभी को उपहार में खिलौने दिए. फ़िर सभी के साथ तरह-तरह के खेल खेले. खेल खेलते पता ही नहीं चल पाया कि शाम होने को है. जैसे ही नन्हीं परी ने अंधेरे को घिरते देखा तो अपने मित्रों से बिदा लेते हुए कहा कि वह कल फ़िर आएगी. इतना कहते हुए उसने अपने पंखों को फ़ड़फ़डाया और आसमान में उड़ चली.

अब नन्हीं परी रोज धरती पर आती और आपने मित्रों के साथ दिन भर खेलती और शाम होने के पहले अपने घर लौट जाती. एक दिन की बात है. जब सब मित्र लुका-छिपी का खेल खेल रहे थे, नन्हीं परी इस समय एक वृक्ष के पीछे छिपी हुई थी ,तभी एक जादूगर आया और उसने अपने जादू के बलपर उसे कैद कर लिया और वहां से चलता बना.

यह बात देर तक किसी से छिपी न रह सकी कि नन्हीं परी का अपहरण कर लिया गया है. काफ़ी खोजने के बाद भी बच्चे अपनी नन्हीं मित्र को खोज न सके तो उन्होंने पास के पोलिस-स्टेशन पर जाकर रपट लिखवाने की सोची.

सब बच्चे पास ही के पोलिस स्टेशन जा पहुंचे. उन्होंने अपनी टूटी-फ़ूटी जबान में अपनी व्यथा –कथा कह सुनाई, लेकिन जब थानेदार ने उसका नाम बतलाने को कहा, तो सभी ने चुप्पी साध ली थी, क्योंकि वे परी का असली नाम पूछना तो भूल ही गए थे.

थानेदार और नन्ही परी


वे उसे केवल परी ने नाम से जानते थे, थानेदार ने जब उसका हुलिया जानना चाहा तो गोलू ने बतलाया कि एक नन्ही सी परी, परीलोक से रोज आती है और हमारे साथ खेलती है और शाम होने से पहले रवाना हो जाती है.

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थानेदार को सहसा विश्वास नहीं हुआ कि ऎसा भी हो सकता है. उसने अब बारी-बारी से बच्चों से जानना चाहा. सभी का जवाब एकसा था. खैर जैसे-तैसे उसने रिपोर्ट दर्ज की और बच्चॊं से कहा कि वह अपने आदमियों को चारों तरफ़ उस परी की तलाश करने को कहेगा और जैसे ही वह उन्हें मिल जाएगी, सूचना दे दी जाएगी.

अब आप सब लोग अपने-अपने घर जाओ. बच्चे परी के अचानक गुम हो जाने से परेशान तो थे,लेकिन कर भी क्या सकते थे. उधर परी जब अपने घर नहीं पहुँची तो उसके माता-पिता भी परेशान हो रहे थे.

उसकी खोज में दोनों धरती पर आए. इस समय बच्चे घर जाने के लिए उद्दत हुए ही थे कि वे बच्चों के सामने प्रकट होकर अपनी बेटी के बारे में जानना चाहा कि उनकी बेटी कहाँ है? गोलू ने भावविव्हल होते हुए बतलाया कि अचानक वह न जाने कहां गायब हो गई है.

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लगता है कि किसी बदमाश ने उसका अपहरण कर लिया है. काफ़ी खोज-खबर के बाद भी वह हमें मिल नहीं रही है. उसने यह भी बतलाया कि हमने उसकी रिपोर्ट थाने में भी दर्ज करवा दी है .

नन्हीं परी और जादूगर


परी राजा ने बच्चों से कहा कि वे और ज्यादा परेशान न हो. वे तत्काल ही उसे ढूंढ निकालेंगे. इतना कहकर उन्होंने अपनी आँखें बंद करते हुए अपनी जादुई छडी को चारों तरफ़ घुमाते हुए कुछ मंत्र पढे.

मंत्र के पढ़ते ही नन्हीं परी और जादूगर सामने खडे थे. जादूगर के हाथों में हथकडी पडी हुई थी. उसने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि अब वह भविष्य में बच्चों का अपहरण नहीं करेगा, उसे माफ़ कर दिया जाए.

राजा ने उसे सख़्त हिदायत देते हुए माफ़ कर दिया. जादूगर के कब्जे से आजाद होते ही नन्हीं परी अपने माता-पिता के पास दौडी चली आयी और उनसे लिपट गई.

सभी बच्चे अपनी दोस्त को पुनः अपने बीच पाकर खुशियां मनाने लगे. नन्हीं परी अपने माता-पिता के साथ आसमान में उड़ चली.सभी बच्चे हाथ हिला-हिलाकर उसका अभिवादन कर रहे थे.

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आज हम एक बहुत ही रोचक और आकर्षक कहानी पढ़कर मज़े और आनंद का दिन मनाएंगे!

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