अक्सर हमारे साथ ऐसा कई बार होता है कि हमारे किसी दोस्त या परिचित ने कभी हमें अपना मोबाइल नंबर दिया और उसे हमने अपनी डायरी या मोबाइल में नोट कर लिया और कुछ दिनों बाद हम जब उस नंबर पर फोन लगाते हैं तो पता चलता है कि वो नंबर या तो गलत है या फिर वो किसी अन्य व्यक्ति के नाम हो गया. इस स्थिति में हमें बड़ी गुस्सा आती है. ब्लागिंग में भी कई बार ऐसा होता है
ब्रोकन लिंक क्या होती हैं
ब्रोकन लिंक कैसे बनते हैं
कई बार ऐसा होता है जब हम
अपनी किसी पोस्ट का यूआरएल change कर देते हैं इससे उस पोस्ट की लिंक हमने जहाँ
जहाँ भी add की होती है वहां पर उस लिंक पर क्लिक करने पर वह पोस्ट नहीं खुलती है
क्योंकि वह पोस्ट डिलीट हो चुकी होती है. ऐसी लिंक्स ही ब्रोकन लिंक कहलाती हैं.
जब कोई यूजर इन लिंक पर क्लिक करता है तो “404 Page not found” या “क्षमा करें
इस ब्लॉग पर आप जिस पृष्ठ को खोज रहे हैं वह उपलब्ध नहीं है” इस तरह का message
show होता है. यह वेबसाइट के एस ई ओ के लिए बहुत नुकसानदेह होता है.
किसी भी ब्लॉग या वेबसाइट
पर ब्रोकन लिंक या डेड लिंक और भी कारणों से बन सकते हैं. मान लीजिये आपने अपना
ब्लॉग पहले ब्लागस्पाट पर बनाया था जिस पर लिंक स्ट्रक्चर में यूआरएल के last में
html रहता है और आपने इस ब्लॉग को वर्डप्रेस पर माइग्रेट किया जहाँ पर आपने link
structure को change कर लिया तो आपके ब्लॉग पर कई ब्रोकन लिंक create हो जाएँगी.
ब्रोकन लिंक को dead link क्यों कहते हैं?
ब्रोकन लिंक को dead link इसलिए कहते हैं क्योंकि इन का अस्तित्व ख़त्म हो चूका रहता है. ये लिंक ब्लॉग पर किसी काम की नहीं होतीं. जब इन्हें open करते हैं तो कोई पेज नहीं खुलता बल्कि डिफ़ॉल्ट में error 400 का सन्देश दिखाई देता है.
नए ब्लागर अनजाने ही अपने blog में कई ब्रोकन लिंक create कर लेते हैं. लेकिन एक बार जब आप यह समझ जाएंगे कि ये किस तरह बनते हैं तो आप सावधानी रखेंगे.
ब्रोकन लिंक कितने प्रकार की होती हैं
Broken links या Dead Links को हम मुख्य रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत कर सकते है-
- ब्लॉग पर खुद के ब्लॉग की Broken links या Dead Links.
- ब्लॉग पर दूसरे ब्लॉग की external Broken links या Dead Links.
अपने ब्लॉग की पुरानी
posts का यूआरएल बदलने के कारण जब हमने कहीं इनकी लिंक की इंटरनल लिंकिंग की होती
है वहां पर Broken links या Dead
Links बन जाते हैं.
ब्लॉग पर external ब्रोकन लिंक तब बनते हैं जब आपने जिस ब्लॉग की लिंक को अपने ब्लॉग पर बैकलिंक दिया है वो ब्लॉग बंद हो गया हो, उसका यूआरएल change हो गया हो या डोमेन expire हो गया हो.
ब्रोकन लिंक से क्या नुकसान होता है
ऐसे लिंक जो काम
नहीं कर रहे ब्लॉग के SEO को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. ये ओर्गानिक ट्रैफिक को
भी कम करते हैं क्योंकि सर्च इंजन में आपके पेज की रैंकिंग डाउन होने लगती है.
दूसरा हानिकारक
प्रभाव users पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जब ब्लॉग रीडर को किसी पोस्ट पर कंटेंट
नहीं मिलता तो हो सकता है वो आपकी साइट को छोड़कर चला जाए. एक अच्छे ब्लॉग में खुद
के ब्लॉग की कई posts की internal linking होती है जिससे readers को उस विषय से
related other posts तक पहुँचने में आसानी हो. ब्रोकन लिंक होने की वजह से उसकी
access उस पोस्ट तक नहीं हो पाती. इससे ब्लॉग का traffic down होने लगता है. ब्लॉग ट्रैफिक में कमी का का सीधा असर गूगल एडसेंस से कमाई पर पड़ेगा.
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